शनिवार, 6 फ़रवरी 2010

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का तीन दिवसीय कैम्प सम्पन्न

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का तीन दिवसीय कैम्प सम्पन्न

आज दिनांक 06 फरवरी 2010 को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का तीन दिवसीय कैम्प सम्पन्न हुआ। यह कैम्प जिलाधिकारी, लखनऊ के परिषर में आशा परिवार और जनआंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के बैनर तले सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा 04 फरवरी 2010 से 06 फरवरी 2010 तक आयोजित किया गया था। इस कैम्प का मुख्य उददेश्य यह था कि आम जनता जो सरकारी विभागों से अपने हक को जानने व पाने के लिए परेशान रहती है वह सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का प्रयोग करके प्राप्त कर सकती है। वह अपने कार्यों की जानकारी, अपने से जुडे उन तमाम आवेदन पत्रों की स्थिति जो उसने विभागों को इस आशय से दिया था कि निश्चित समय में इन पर कार्यवाई होगी और हमारा हक हमें प्राप्त हो जायेगा।
इस तीन दिवसीय कैम्प में करीब 350 लोगों ने जानकारी के साथ आवेदन पत्रों को तैयार करने के विषय में जानकारी प्राप्त की। इस कैम्प में लोगों को जानकारी देने से लेकर आवेदन बनाने का कार्य किया गया। इसमें तमाम विभागों से संबंधित मामले सामने आये। जैसे- विधवा पेंशन के फार्म लोगों ने कई साल पहले भरे थे लेकिन उसका जवाब अभी तक नहीं मिला और तो और, उनका फार्म अब कहाँ है यह भी उन्हें नहीं पता। बडी मुश्किल से ये लोग अपना आवेदन समाज कल्याण विभाग तक पहुंचा पाते हैं। क्योंकि उसमें की जो फारमेल्टीज हैं उन्हें पूरा करने में तमाम खर्च के अलावा बहुत दौड-धूप करनी पडती है तब जाके कहीं फार्म जमा करने की नौबत आती है। यह करना एक आम आदमी के लिए बडी मुश्किल की बात है जिसे खाने के लाले पडे हों। इसी तरह से अपने सरकारी विभाग से रिटायर कर्मचारी कई सालों से विभाग के चक्कर लगाते हैं कि मेरी पेंशन समय से मिल जाये और प्रमोशन के हिसाब से मिले । इसके लिए उन्होंने विभागों के छोटे कर्मचारी से लगाकर बडे अधिकारियों को आवेदन दिया लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। अब हार थक कर बैठ चुके है। इसी तरह का मामला है कि एक वरिष्ठ लिपिक सिविल कोर्ट लखनऊ में कर्मचारी थे बेचारी बीमारी का शिकार हो गये और अपना इलाज मेडिकल कालेज से लगाकर बडे-बडे अस्पतालों में कराया। ठीक तो हो गये । जितनी बीमारी में तकलीफ नहीं थी उतनी भागदौड करके अब परेशान हैं क्योंकि उन्हें मेडिकल खर्च नहीं मिल पा रहा है। जिसको प्रार्थना पत्र देते हैं । एक महीने बाद जाते हैं तो पता चलता है कि उनका प्रार्थना पत्र ही गायब हो गया है। कोई अपनी भर्ती प्रक्रिया को लेकर रो रहा है। एक सज्जन ने 1997 में उत्तर रेलवे में सफाई कर्मी के पद के लिए आवेदन किया था। उनका साक्षात्कार भी हुआ था और मेरिट लिस्ट में नाम भी आ गया। लेकिन बेचारे अभी भटक रहें है। क्योंकि उनसे कम नम्बर पाने वाले और साक्षात्कार न देने वालों को नौकरी मिल गयी और बराबर नौकरी कर अपनी तनख्वाह उठा रहे हैं। उन्हें क्यों नौकरी नहीं मिली । यह उनकी समझ से परे है। वह जानना चाहते हैं कि आखिर यह कैसे हुआ। मेरा नाम मेरिट लिस्ट में आने के बाद भी मैं खाली बैठा हॅू । मुझे नियुक्ति क्यों नहीं मिली। मुझसे कम नम्बर पाने वाले कैेसे नियुक्ति पा गये।
इन सब परेशानियो को जानने और अपने हक की लडाई लडने में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 ही कारगर साबित होता है। यह जानने के लिए लोगों की भीड उमड पडी। जमकर जानकारी ली। इससे उनका इतना विश्वास हो गया कि चलो अब अधिकारी कुछ नहीं करेगें तो सूचना देने के लिए तो बाध्य होगें ही। कम से कम यह तो पता चल जायेगा कि हमारा फार्म कहाॅ है और उस पर क्या कार्यवाई की गयी है। उसकी क्या स्थिति है। मेरा काम किन कारणों से रूका है। यह काम कब तक हो जायेगा। अब कोई अधिकारी ज्यादा दिन तक परेशान नहीं कर पायेगा। वह सूचना देने में बहाना नहीं कर पायेगा।
लोगों ने यह सब जानकारी पूर्णतया सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धाराओं जैसे- 6(1),6(3) समेत प्राप्त की। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में जो धारा 6(1) है वह सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदन देने के लिए होती है जिसके तहत आवेदन किया जाता है। धारा 6(3) के तहत अधिकारी किसी भी विभाग से सूचना लाकर आवेदक को देने के लिए बाध्य होता है। वह यह बहाना करके आवेदन अस्वीकार नहीं कर सकता है कि यह सूचना या इसका कुछ भाग मेरे विभाग से संबंधित नहीं है। इन तमाम जानकारियों के अभाव में कभी-कभी आवेदक का आवेदन विभागीय अधिकारी यह कह कर वापस कर देते थे कि अरे! यह सूचना तो हमारे विभाग से संबंधित नहीं थी आप जिस विभाग से संबंधित है उसमें आवेदन करे।
उपरोक्त जानकारियों को बताते हुए और इससे जुडे कार्यकर्ताओं के सम्पर्क सूत्र देते हुए, लोगों को जानकारी उपलब्ध करायी गयी। जो लोग आवेदन नहीं बना पाते थे उनको आवेदन बनाना बताया गया। इसको हिन्दुस्तान दैनिक अखबार ने 05 फरवरी 2010 के अंक में प्रकाशित भी किया। इसमें मुख्य रूप से और सामाजिक क्षेत्रों से जुडे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और लोगों को जानकारी से लेकर आवेदन बनाने में मदद की। चुन्नीलाल ( जिला समन्वयक, आशा परिवार), आशीष कुमार, उर्वशी जी, नसीर जी कार्यकर्ता, आशा परिवार व मानव मूल्य रक्षा समिति की अध्यक्षा श्रीमती लक्ष्मी गौतम जी व सामाजिक कार्यकर्ता तथा मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित व एन0ए0पी0एम0 के राष्ट्रीय समन्वयक डा0 संदीप पाण्डेय जी ने मुख्य रूप से भाग लिया। विशेष जानकारी देने के लिए और सहयोग के लिए सभी का धन्यवाद।
भवदीय,
चुन्नीलाल
(जिला समन्वयक, आशा परिवार)
मे0 नं0 09839422521

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