शुक्रवार, 17 अप्रैल 2009

चुनाव प्रचार

मिश्रिख लोकसभा प्रत्याशी रामसागर वर्मा के साथ संदीप पाण्डेय द्वारा विल्हौर तहसील में जनसम्पर्क
16 अप्रैल आज मिश्रिख लोकसभा के निर्दल प्र्तायाशी रामसागर वर्मा के समर्थन में प्रसिद्व सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय ने विल्हौर तहसील के अरौल गांव से चुनाव प्रचार अभियान का आगाज किया । 10 बजे से शुरू हुए प्रचार अभियान में सबसे पहले धर्मशाला गांव पहुचें गांव के लोग उत्सुकतावश देखने लगे, क्योकि अभी तक कोई भी प्रत्याशी या उनके समर्थक अभी इस क्षेत्र में चुनाव प्रचार करने नहीं पहुचें है । आशा परिवार के स्थानीय साथियों द्वारा गांव के लोगों के साथ एक बैठक की शुरुआत होती है। रामसागर वर्मा ने अपनी बात लोगों के सामने रखते हुए वर्तमान राजनीति पर गहरा प्रहार करते है। एक बेहतर और ईमानदार तथा बैकल्पिक राजनीति लाने की बात कहते हुए युवा नेता रामसागर वर्मा अपने क्षेत्र हरदोई में आम जनता के हकों के लिए किये गये संघर्षो को बताते हुए कहते है कि आज भरावन ब्लाक में घूस लेने से अधिकारी डरता है, थाने में अगर पुलिस गलती से घूस ले भी लेती है तो उसे फिर वापस भी कर आती है। जनता का इतना डर पुलिस वालों पर है, लेकिन ये सब सम्भव हो पाया है आम जनता के संगठित संघर्षो से। रामसागर वर्मा गांव वालो से ये कहते हुए अपनी बात समाप्त करते है कि हम यहां पर आये है आपके संघर्षो में कंधा देने के लिए आपके साथ खड़े होने के लिए हम आपसे निवेदन करते है कि अगर आपको लगे कि मै आपका जन प्रतिनिधि बन सकता हूं तो आप मेरे चुनाव चिन्ह पतंग पर बटन जरूर दबाइयेगा। इस गांव के बाद ये कारवां अपने तय मंजिल की तरफ अगले गांव बकौठी की तरफ बढ़ा, आज गर्मी भी शायद अपने अभियान पर निकली है इसीलिए लू के थपेड़े गालो पर बार-बार टकरा कर अपने होने का एहसास करा रही है। धूल के उड़ते बवंडरों के बीच हम लोग आखिर बकौठी गांव पहुच जाते है यहां पर स्थानीय साथी सुरेश कटियार जी बड़ी ही जिंदादिली के साथ सबका स्वागत करते है। गांव के मन्दिर के बरामदे में बैठक शुरू हो जाती है धीरे-धीरे करके गांव के लोग इक्ठ्ठे होने लगते है , कुछ महिलायें भी बैठक में है वो काफी दूर धूप में घूंघट किये हुए बैठने लगती है। संदीप जी के काफी अनुरोध के बाद वो महिलायें पास छायें में आकर बैठती है। बैठक के दौरान गांव वालों का नेताओं के प्रति आक्रोष दिखता है लोग कहते है कि चुनाव के समय सब आकर वादा करते है कि ये कर देंगे वो कर देंगे मगर कोई भी चुनाव के बाद वापस गांव में नहीं आता है फिर 5 साल बाद नजर आते है । बहुत सारे लोग परीसीमन बदलने से भी परेशान दिखते है वे कहते है कि जब बिल्हौर लोकसभा थी तब विकास नहीं हुआ अब तो इतनी दूर हो गया कि विकास की कोई संभावना ही नहीं रह गई । रामसागर वर्मा और संदीप पाण्डेय अपनी बातों में लोगों को भरोसा दिलाते है कि हम आपके साथ हमेशा खडे़ रहेगें । शंकर भाई अपनी बात रखते हुए कहते है कि मै आपके गांव में बराबर आ रहा हू कई लोगों ने आपके यहां से सूचना अधिकार का इस्तेमाल करके बिना घूस दिये अपना काम कराया है। हम लोगो ने अरौल में सूचना के अधिकार का कार्यालय भी खोल रखा है हम आपके संघर्षो में सदैव आपके साथ खड़े रहेंगे मगर संघर्षो के लिए आपको आगे आने पड़ेगा। गाँव वालों से पतंग चुनाव चिन्ह पर वोट देने की अपील करते हुए ये जत्था अपनी पूर्व निर्धारित गांव तरी पाठक पुर की तरफ चल पड़ता है। ऊँची -नीचीं ढलान सड़को से गुजरते हम लोग गंगा नदी के करीब पहुँच जाते है यही गंगा के किनारे विकास से कोसो दूर बसा गांव तरी पाठक पुर में सकरीं गलियों से गुजर कर हम लोग बस्ती में पहुंचते है कई लोग इंतजार कर रहें है यहां पर हम लोगों को आने का दुआ सलाम करके वहीं कुए के किनारे सब खाट पर सबलोग बैठ जाते है, बैठते ही लोग अपनी परेशानिया बताना शुरू कर देते है कि नरेगा के तहत काम किये हुए दो महीने गुजर गये मगर अभी तक पैसा नहीं मिला हम लोगों ब्लाक पर भी गये मगर कोई सुनवाई नही हुई। कुछ लोग बताते है कि हमने 3 दिन नरेगा में काम किया मगर मेरे खाते में 1200 रू0 आया प्रधान के पास मेरा पासबुक है प्रधान मेरे साथ पैसा निकालने गया 1200 में से मुझे 300 रू0 देकर बाकी 900 अपने पास रख लिया हमनें डर के मारे कुछ पूछा भी नही। लोगों की समस्याओं को सुनने के बाद उसके हल के लिए शंकर सिंह को जिम्मेदारी दी गई। रामसागर वर्मा ने अपनी बात रखनें बाद लोगों से पतंग पर वोट देने की अपील करते हुए आगे के गांव मेघनीपुरवा की तरफ चल दियें । मेघनीपुरवा से जनसम्पर्क करते हुए अमिलिहा गांव में लोगों से मिलने के बाद करीब 4 बजे प्रेस क्लब पहुँच कर आज के इस जनसम्पर्क अभियान का विश्राम हुआ।
महेश कुमार
सूचना का अधिकार अभियान कानपुर

प्रेस के बीच






रविवार, 12 अप्रैल 2009

आर0 टी0 आई0 भ्रष्टाचार के खिलाफ एक हथियार

आर0 टी0 आई0 भ्रष्टाचार के खिलाफ एक हथियार
आजादी के बाद सरकार द्वारा अब तक जितने कानून बनाये गये वो सभी कानून सरकार के नुमाइंदो द्वारा, इस देश के आम जनता से सवाल पूछने के लिए थे। लेकिन सन् 2005 में वर्तमान सरकार को अन्ततः जन आंदोलनों के दबाव के कारण आर० टी० आई० और नरेगा दो ऐसे कानून पास करने पड़े जो इस देश की आम जनता के लिए थे उसमें से एक कानून सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 ऐसा कानून पास हुआ जो इस देश के आम आदमी को सरकार और प्रसाशन से सवाल पूछने का अधिकार देता है। ये कानून आम तबके को इस देश का असली मालिक होने का एहसास करा दिया। अब आम आदमी काम न करने वाले अधिकारियों और कराये गये कामों के हिसाब - किताब पूछने के साथ ही साथ उन्हें कठघरे में भी खड़ा कर सकता है। ये कानून प्रशासन में व्यापत भ्रष्टाचार को रोकने और व्यवस्था तथा निर्णयों को पारदर्शी बनाने में मदद कर रही हैं। 13 अक्टूबर 2005 को सरकार ने जब इस कानून को पास किया और उसके बाद जब आम जनता ने इस कानून को सरकार और प्रशासन के खिलाफ हथियार की तरह उपयोग करने लगी तब वर्तमान सरकार के भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को खतरा महसूस होने लगा। अन्ततः इन भ्रष्ट लोगों के दबाव में सरकार ने इस कानून को पंगु बनाने के लिए बदलाव का प्रस्ताव ला दिया। सरकार के इस निर्णय का देश के तमाम जन संगठनों, बुद्विजिवियों, समाज सेवियों, न्यायप्रिय और ईमानदार लोगों ने इसका खुलकर विरोध किया आखिरकार सरकार को इस जनाक्रोश के आगे झुकना पड़ा और इस कानून में बदलाव का प्रस्ताव स्थगित करना पड़ा। आज हर आम या खास आदमी अपने हकों के लिए इस कानून को भ्रष्टाचार के खिलाफ इस्तेमाल कर, इस देश के लोकतंत्र को मजबूत और सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहा है।
महेश कुमार
सूचना का अधिकार अभियान, कानपुर