बुधवार, 25 नवंबर 2009

आर० टी० आई० से बच्चों ने बदली गाँव की तस्वीर

आर० टी० आई० से बच्चों ने बदली गाँव की तस्वीर
उत्तराखंड में पबम के बच्चों ने आर० टी० आई० का इस्तेमाल करके अपने गाँवो की जो तस्वीदलने की मुहीम छेड़ी है वो वाकई कबीले तारीफ और प्रेरणादाई है. बच्चों ने इस कानून का इस्तेमाल करके पूरे देश के लिए एक सन्देश दिया है कि बच्चे भी इस देश कि जर्जर हो चुकी ब्यवस्था को बदलनें में एक अहम् भूमिका निभा सकते है. मुझे पबम के इस दो दिवसीय कार्यशाला में जाकर सीखने को मिला कि अगर बच्चे इस कानून का इस्तेमाल करने लगे तो इस देश को सही अर्थो में आजाद होने के लिए ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. आर० टी आई० इस्तेमाल करके बच्चों के अन्दर एक आत्मविश्वास और गाँव को बदलने कि ललक उनके चेहरे पर साफ दिखाई पड़ रही थी. सपना, प्रीति, कविता, देवब्रत, मनीष, और अन्य तमाम बच्चे जिन्होंने अपने गाँव अपनी स्कूल कि समस्याओं का हल आर० टी आई० का इस्तेमाल करके किया है. मुझे लगता है कि इस देश में आर० टी आई० कानून लागू होने के बाद इन ४ सालों में ये पहली बार हुआ है कि सामूहिक रूप से बच्चों ने आर० टी आई० कानून का इस्तेमाल किया है. ये पूरे देश के लिए एक प्रेरणादाई बात है कि जिस कानून का इस्तेमाल करने में बड़े पीछे रहते है उस कानून का इस्तेमाल करके बच्चो ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया है. देश में अन्य जिन जगहों पर आर० टी आई० का इस्तेमाल लोगों कर रहे है वो ज्यादतर अपने व्यक्तिगत कामों के लिए कर रहे है मगर इन बच्चो ने सामाजिक समस्याओं पर आर० टी आई० का इस्तेमाल करके समाज को कुछ देने के साथ साथ उनको झकझोरा भी है. इन बच्चों में अपने गाँव का प्रतिनिधित्व करने कि क्षमता साफ दिखाई पड़ने लगी है. इस देश को आजाद हुए करीब ६३ वर्ष हो चुके है इस दौरान जो भी कानून सरकार द्वारा बनाये गए वे प्रशासन द्वारा लोगों पर शासन करने के लिए थे. मगर सन २००५ में जन दबाव के कारण दो कानून ऐसे पास करने पड़े जो आम जनता के लिए थे उसमे से एक था सूचना का अधिकार अधिनियम २००५. इस कानून ने इस देश कि आम जनता को इस देश का सही अर्थो में मालिक होने का एह्साह कराया. इस कानून को लागू होने के बाद लोगों ने इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक हथियार कि तरह इस्तेमाल करना शुरू किया. वर्षो से जिन कामो को कराने के लिए जनता को घूस देना पड़ता था आज लोगो ने उनसे काम न होने पर सवाल पूछना शुरू कर दिया. सरकार को ये कानून अपने सर के ऊपर लटकती तलवार साबित होने लगी. सरकार और प्रशासन के लोगों ने मिलकर इस कानून में बदलाव कि कोशिश शुरू कर दी मगर जन प्रतिरोध के चलते उनको आर० टी आई० में संसोधन का प्रस्ताव वापस लेना पड़ा. कोई भी हथियार कि उपयोगिता तभी है जब उसका लोग इस्तेमाल करे. आर० टी आई० जैसे कानूनी हथियार का जितना इस्तेमाल किया जायेगा उतनी ही इसकी धार और पैनी होगी. बच्चों ने इस हथियार का इस्तेमाल करके एक नया रास्ता दिखाया है इस कानून को इस्तेमाल करने का. आज भविष्य वर्त्तमान कि व्यवस्था परिवर्तन में एक धुरी का काम करने जा रहा है ये एक सुखद घटना है. हलाकि अभी इस परिवर्तन के रास्ते पर चुनौतिया बहुँत है, लेकिन अगर इस समाज के बड़े लोग जो बच्चो को कोई अहमियत नहीं देते है वे इस समाजिक बदलाव में इन बच्चों के साथ खडे हो जाय तो इस देश कि ये दूसरी आजादी का संघर्ष सही अर्थों में सफल हो जायेगा.
महेश

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मंगलवार, 17 नवंबर 2009

अयोध्या से अजमेर सदभावना यात्रा

Karwane-Aman

Ayodhya -se -Ajmer
6th Dec- 12th -Dec

communal Harmony -Equilty- Brotherhood

Dear friends,
We all are aware that communalism which has been seen in its various forms is quite different from other social issues .Communalism act as a driving force to indulge people of different communities from hatred among them .This hatred sometimes goes to extent of people killing each other.Even on constant watch and control these communal powers continue to spread their wings silently and we come forward mostly when some disaster had already happened which had resulted in a great loss.Its long , since when we decided to give more effort on these issues.
Ayodhya ki Awaz, Asha Parivar and National alliance of peoples movement are working together on these issues to hold programmes on 30th jan , 2nd oct and 6th december of every year in Ayodhya .On the coming 6th December we are organising a Karwan from Ayodhya to city of Sufi Hazarat Khwaja Moinuddin chisty ie Ajmer , which is the center from where the message of brotherhood , equality and humanity has spread in the entire world .Karwan will spread the message of equality , peace brotherhood and humanity among people during its 1100 kms journey .During its journey Karwan will indulge in public meetings , distribution of literatures etc . Karwan will end in Ajmer on 12th December 2009 , where we will organise a national convention on communal harmony .
We appeal you all to to particiapte in our effort to spread the message of humanity and be a part of Karwan .

PROGRAMME

COMMENCE - 6TH DECEMBER 2009 FROM KABIR MATH OF AYODHYA AT 11:00 AM

6TH DEC - NIGHT STAY AT LUCKNOW

7TH DEC - DAY DURATION IN KANPUR AND NIGHT STAY IN KANNAUJ

8TH DEC- DAY DURATION IN BHOGANW WITH NIGHT STAY AT MAINPURI

9TH DEC- DAY DURATION IN FEROZABAAD WITH NIGHT STAY IN AGRA

10TH DEC- DAY DURATION IN BAYANA WITH NIGHT STAY IN BHARATPUR

11TH DEC - DAY DURATION IN DAUSA WITH NIGHT STAY AT JAIPUR

12TH DEC - ARRIVAL TO AJMER .

contacts - Sandeep Pandey 05222347365
Jugal kishore shashtri 09451730269
Faisal Khan 09968828230
Arvind murti 09839835032

शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

प्रभाष जोशी का यूँ चले जाना

प्रभाष जोशी का यूँ चले जाना

जनसंगठनों की क्षति और जन सरोकारी पत्रकारिता में निर्वात

वरिष्‍ट पत्रकार श्री प्रभाष जोशी का निधन न सिर्फ पत्रकारिता बल्कि देश के जनसंगठनों के लिए भी अपूरणीय क्षति है। ऊनके निधन से दोनों ही स्‍थानों पर निर्वात महसूस किया जा रहा है।

श्री जोशी देशभर के सामाजिक समूहों से न सिर्फ जुड़े रहे हैं बल्कि उन्‍होंने ने ऐसे समूहों ने सक्रिय भागीदारी भी की है। ऊन्‍होंने देश के किसानों, दलितों, आदिवासियों, अल्‍पसंख्‍यकों और वंचित वर्गों के मुद्दे न सिर्फ अपनी लेखनी के माध्‍यम से उठाये बल्कि वे उनसे करीब से जुड़े भी रहें हैं। ऐसे ही समूहों में नर्मदा बचाओ आंदोलन भी शामिल है।

बात 1994 के जाड़े की है। झाबुआ (मध्‍यप्रदेश) जिला प्रशासन ने सरदार सरोवर बाँध प्रभावित आदिवासियों को नीति अनुसार जमीन दिए बगैर उन्‍हें उनके गॉंवों से खदेड़ने हेतु दमनचक्र चलाया था। झाबुआ जिले के तत्‍कालीन कुख्‍यात कलेक्‍टर श्री राधेश्‍याम जुलानिया के नेतृत्‍व में जिला प्रशासन लोगों को उनकी इच्‍छा के विरुध्‍द गॉंव से हटने के लिए के लिए मजबूर कर रहा था। उन पर फर्जी मुकद्दमें दायर कर लोगों की हिम्‍मत तोड़ने का षड़यंत्र जारी था। स्‍थानीय मीडिया भी इस मामले को अपेक्षित कवरेज नहीं दे रहा था उन दिनों श्री जोशी डूब प्रभावित गॉंव आंजणवारा गॉंव तक पैदल चल कर गए तथा लोगों को हिम्‍मत दी। याद रहे आंजणवारा झाबुआ जिले के उन पहुँचविहीन गॉंवों में से एक है जहाँ आजादी के 60 वर्ष बाद भी आज तक विधानसभा अथवा लोकसभा चुनाव का प्रचार करने किसी भी राष्‍ट्रीय राजनैतिक दल का कोई कार्यकर्ता नहीं पहुँचा है। यह गॉंव सरदार सरोवर बॉंध की डूब से 1994 से ही प्रभावित है लेकिन यहॉं के बाशिंदे आज भी गॉंव में ही डटे रह कर विनाशकारी विकास नीति को चुनौती दे रहे हैं।

अप्रैल 2002 में जब सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने सरदार सरोवर बाँध प्रभावितों के समर्थन में लेखन के लिए बुकर पुरस्‍कार से सम्‍मानित सुश्री अरुंधती रॉय पर न्‍यायालय की अवमानना हेतु सजा सुनाई। सजा पूरी कर जेल से छूटने पर गॉंधी शांति प्रतिष्‍ठान (नई दिल्‍ली) में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में उन्‍होंने दबंगता से कहा था - "यदि बॉंध प्रभावितों के अधिकारों की बात करना सर्वोच्‍च न्‍यायालय का अपमान है तो यह अपमान मैं बार-बार करुँगा। सुप्रीम कोर्ट चाहे तो मुझे भी जेल में डाल दें।"

जून 2002 में मध्‍यप्रदेश के धार जिले में स्थित मान परियोजना प्रभावित आदिवासी परिवारों को जब सरकार द्वारा पुनर्वास लाभ दिए बगैर उजाड़ दिया गया तो आंदोलन ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। प्रभावितों को जून की तन झुलसाती तपन के बीच राजधानी भोपाल में 35 दिनों तक धरना एवं 29 दिनों तक अनशन को बाध्‍य होना पड़ा। इस दौरान राजनैतिक-प्रशासनिक असंवेदनशीलता के कारण लोगों की पीड़ा को नजरअंदाज कर प्रभावितों को उनके अधिकारों से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा था, तब श्री जोशी ने आदिवासियों को उनके हक दिलवाने हेतु काफी काफी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। सरकार के साथ मध्‍यस्‍थता भी की। अनशन समाप्ति के बाद जुलाई 2002 में वे पूर्व अनुसूचित जाति-जनजाति आयुक्त श्री बी डी शर्मा के साथ परियोजना प्रभावित क्षेत्र जीराबाद (धार) में एक सप्‍ताह से अधिक तक रहे तथा परियोजना प्रभावितों को लाभ दिलवाने हेतु उनकी पात्रता निर्धारण में सहयोग दिया। उनके प्रयास से अनेक प्रभावितों को पुनर्वास लाभ मिलना सुनिश्चित हुआ।

श्री जोशी सच्‍चे अर्थों में देश के जनसंगठनों के सच्‍चे मित्र थे। यह उनके व्यक्तित्व की खासियत रही कि न तो वे कभी सत्ता के चाटुकार बने और न ही उन्‍होंने अपनी लेखनी को भी कभी सत्ता के गलियारों की चेरी नहीं बनने दिया। उनका निधन न सिर्फ जनसरोकारी पत्रकारिता के लिए क्षति है बल्कि देश के जनसंगठन भी अपने एक सच्‍चे दोस्‍त की कमी को हमेशा महसूस करते रहेंगें।

रेहमत
नर्मदा बचाओ आन्दोलन के सभी साथियों के तरफ से ...