रविवार, 30 अगस्त 2009

नरेगा (NREGA) मजदूरों की जीत

नरेगा (NREGA) मजदूरों की जीत, रूका काम शुरू

बगदौधी बागर के ग्राम प्रधान राजू दिवाकर ने अन्ततः नरेगा (NREGA) मजदूरों के काम रोको संघर्ष के आगे झुकते हुए उनकी तीनों मांगे स्वीकार कर ली, आखिरकार पिछले दो दिनों से नरेगा(NREGA) के तहत रामनगर तलाब की जो खुदाई बन्द हो गई थी आज फिर से शुरू हो गई। कानपुर नगर के चैबेपुर ब्लाक के बगदौधी बंागर ग्राम पंचायत में नरेगा(NREGA) के तहत तलाब का खुदाई में करीब 35 मजदूर लगे थे। ग्राम प्रधान उनसे मानक से ज्यादा 80 से 90 घन फुट खुदाई करके 200 फीट दूर फेंकनंे का दबाव देने लगा। 2 दिनों तक दबाव में मजदूरों ने 80 घनफुट मिट्टी खोदकर करीब 200 फीट दूर तक फेंका। तीसरे दिन मजदूरों ने मानक से ज्यादा काम करने से मना कर दिया। प्रधान ने उन्हे काम से निकाल देने कि धमकी दी, मजदूरों ने आशा परिवार के साथियों से सम्पर्क किया। अगले दिन आशा परिवार के साथी जब तालाब पर सभी मजदूरों के साथ बैठक कर रहे थे, तभी ग्राम प्रधान अपने साथियों के साथ पहुचां। प्रधान को भी बैठक में शामिल कर नरेगा(NREGA) कानून और मजदूरों के हक और काम के मानकों के बारे में आशा परिवार के साथियों ने विस्तार से चर्चा किया। मजदूरों ने अपनी तीन समस्यायें बैठक के दौरान सामने रखी साथ ही कहा ये मागे प्रधान पूरी करे नहीं तो हम लोग इस लड़ाई को आगे तक ले जायेंगे।
  • नरेगा (NREGA) के मानक के अनुसार 70 घनफुट खुदाई और 15 मीटर तक मिट्टी फेंकने का काम लिया जाय, इससे ज्यादा नहीं.
  • मजदूरों का जो मेठ है वह दूसरे ग्राम पंचायत का है उसे हटाकर इसी ग्राम पंचायत का जो काबिल आदमी है उसे मेठ रखा जाय। राम कुमार जो 12 वीं पास है और इसी ग्राम पंचायत के है, इस समय नरेगा (NREGA) में काम कर रहे है उन्हे मेठ बनाया जाय।
  • पानी पीने के लिए अलग से एक मजदूर लगाया जाय, जो हम लोगों को काम के दौरन पानी पिलाये।
मजदूरों और प्रधान के साथ करीब 2 घंटे तक चले गरमा गरम बहस के बाद जब मजदूरों ने अन्ततः अपनी मांगे नहीं छोड़ी तो प्रधान राजू दिवाकर ने मजदूरों की तीनों मागें मान ने ली। मिट्टी फेकने की दूरी चूकि 80 फीट थी इसलिए खुदाई 60 घनफुट तय हुई। प्रधान ने बाहरी मेठ को हटाकर उसी गांव के राम कुमार को जो इसी काम में मजदूरी का काम कर रहे थे उन्हे मेठ बनाया। मजदूरों में से एक मजदूर को अलग से सिर्फ पानी पिलाने की व्यवस्था पर लगाया गया। मजदूरों के तीनों मांगों को ग्राम प्रधान के मानने के बाद आज से राम नगर तालाब पर फिर से खुदाई का काम शुरू हो गया। मजदूरों के संगठित होने के बाद एक बार फिर जहां मजदूरों की टूटी आस जुड़ गयी वहीं दूसरी और उनका नरेगा(NREGA)पर विश्वास मजबूत होता दिखाई पड़ा।

Report By, Mahesh & Shankar Singh

“Asha Pariwar”, Kanpur

“Apna Ghar”, B-135/8, Pradhane Gate, Nankari ,IIT, Kanpur-16 India

Ph: +91-512-2770589,Cell No. +91-9838546900
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गुरुवार, 27 अगस्त 2009

कानपूर में नरेगा में हुए घपले में जाँच शुरू

नरेगा में हुई अनियमितताओं की जांच शुरू
बराण्डा ग्राम पंचायत में नरेगा NREGA के कामों में हो रही अनियमितताओं के खिलाफ वहां के मजदूरों के संघर्ष को कानपुर जिलाधिकारी ने गम्भीरता से लेते हुए, कानपुर नगर के बिल्हौर ब्लाक के बराण्डा ग्राम पंचायत के उपर जांच का आदेश करते हुए, कानपुर नगर के जिला मत्सय अधिकारी राजेश कुमार सिंह को जांच सौंप कर 3 दिनों के भीतर रिर्पोट प्रस्तुत करने को कहा।
आज दिनांक 27 अगस्त 2009 को जांच अधिकारी राजेश कुमार सिंह ने करीब 12 बजे दिन में बराण्डा ग्राम पंचायत में पहुंच कर जांच शुरू कर दी। जांच के दौरान सैकड़ो की संख्या में ग्राम वासी और नरेगा (NREGA) मजदूरों के साथ आशा परिवार बिल्हौर के के0 के0 कटियार, मेवाराम, रमाकान्त, महेश चन्द्र धीरज और शंकर सिंह वहां मौजूद थे।
जांच के दौरान जांच अधिकारी ने ग्राम पंचायत सचिव महेन्द्र कुमार गौतम से कार्यवाही रजिस्टर मांगा। सचिव ने जब रजिस्टर उपलब्ध कराई तो उस रजिस्टर में कोई कार्यवाही दर्ज नहीं थी, और कार्यवाही रजिस्टर पूरी खाली थी। उसके बाद जांच अधिकारी ने कार्य प्रस्ताव रजिस्टर देखा वो भी पूरी तरह खाली थी और कार्य प्रस्ताव रजिस्टर में कोई भी कार्य का प्रस्ताव दर्ज नहीं था जबकि इस ग्राम पंचायत में अब तक नरेगा (NREGA) के तहत 5 कार्य पूरे किये जा चुके है। जांच अधिकारी द्वार जांच में ये भी पाया गया कि अभी तक किसी भी काम की एम0 बी0 (Measurement Book) नहीं बनी है। खुली बैठक का रजिस्टर देखने पर पता चला कि ये रजिस्टर भी पूरी खाली है। मस्टर रोल समरी रजिस्टर जांच अधिकारी द्वारा मांगने पर सचिव ने बताया कि अभी तक बना नहीं है।
गांव में 384 बी0पी0एल0 (BPL) कार्ड धारक मगर जाब कार्ड सिर्फ 189
जांच अधिकारी ने ग्राम पंचायत सचिव से जब ये सवाल पूछा कि अब तक कुल कितने जाब कार्ड बने है। सचिव ने बताया 189 जाब कार्ड बने है। जांच अधिकारी ने पूछा कि इस गांव में कुल कितने बी0पी0एल0 (BPL) कार्ड धारक र्है। सचिव ने बताया 384 बी0पी0एल0 (BPL) कार्ड धारक र्है। जांच अधिकारी ने इस बात पर फटकार लगाते हुए बहुत नाराजगी दिखाई कि जिस गांव में 384 बी0पी0एल0 (BPL) कार्ड धारक र्है वहां अब तक सिर्फ 189 जाब कार्ड बने है। मस्टर रोल मांगने पर सचिव ने बताया कि अभी मस्टर रोल नहीं है डाटा फिडिंग के लिए गया हुआ है किसी भी काम का मस्टर रोल दिखाने में सचिव असमर्थ रहे। एकाउन्ट खोलने के बाबत जांच अधिकारी द्वारा सवाल पूछने पर बताया कि अभी तक सिर्फ 100 खातों के ही एकाउन्ट खुल पाये है। नरेगा (NREGA) का परिवार रजिस्टर के बारे में जब जांच अधिकारी ने जानना चाहा तो सचिव ने बताया कि अभी तक नरेगा परिवार रजिस्टर नहीं बना हैं। मजदूरों के साथ जांच अधिकारी ने बैठक कर उनकी समस्याओं के बारे में जानना चाहा। मजदूरों ने बताया कि जाब कार्ड बने एक साल हो गया मगर अभी तक उनके हाथों में जाब कार्ड नहीं मिला है सभी जाब कार्ड प्रधान के पास रहता है। सचिव ने करीब 70 जाब कार्ड जो अपने पास रखे थे दिये । जांच अधिकारी ने सचिव को जमकर फटकार लगाई अब तक जाब कार्ड मजदूरों को न सौंपे जाने के बाबत, सचिव ने कहा कि अभी तक हस्ताक्षर नहीं हो पाये है। मैं कल तक करा के सबको सौप दूंगा। 22 लोगों ने लिखित शिकायत कि नवम्बर 2008 से दिस्मबर 2008 तक नरेगा (NREGA) में करीब 97 मजदूरों ने 35 दिन मकनपुर रोड से जूनियर प्राइमरी सम्पर्क मार्ग तक जो काम किया है उसका आज तक भुगतान नहीे हुआ है। जांच अधिकारी द्वारा पूछने पर ग्राम सचिव ने ये माना कि इस काम का अभी तक कोई भुगतान नहीं हुआ र्है। सचिव ने कहा कि जल्द ही करा दूंगा मेरी तो बस कुछ ही महीने पहले यहां पर पोस्टिंग हुई है। लोगों ने ये भी शिकायत कि काम मांगने पर ग्राम पंचायत सचिव काम नहीं देते है। जांच अधिकारी ने जब सचिव से ये पूछा कि रोजगार मांग फार्म कहा है तब सचिव बगले झांकते हुए बोल कि अभी तक ब्लाक से लाये नहीे हैं। 10 लोगो ने लिखित शिकायत किया कि हम लोगो से नरेगा (NREGA) के तहत जनवरी 2009 में कार्य कराया गया, मगर आज से दो दिन पहले घर आकर प्रधान पति अशोक कटियार ये कह कर हम लोगों को नगद भुगतान किया कि वो कार्य मैने व्यक्तिगत कराया है। जांच अधिकारी द्वारा ये सवाल पूछने पर कि महिलाओं को कितने जाब कार्ड बने है। ग्राम सचिव ने बताया कि अभी तक एक भी महिला का जाब कार्ड नहीं बना है। जांच अधिकारी ने राजेश कुमार सिंह ने ग्राम सचिव महैन्द्र कुमार गौतम को डांट लगाते हुए कहा कि कल 28 अगस्त शाम तक सारे रिकार्ड लेकर हमारे अॅाफिस में आकर मिलो और जो भी रजिस्टर पूरा नही है वो सभी लेकर आना। इसके बाद जांच अधिकारी ने आज की अपनी जांच प्रक्रिया को बन्द करके कानपुर रवाना हो गये। इसके बाद शंकर सिंह ने सभी मजदूरों के साथ बैठकर आगे की संघर्ष की भावी रणनीति पर चर्चा कि और उसकी योजना बनाई।

Report By, Mahesh & Sahankar Singh

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बुधवार, 26 अगस्त 2009

कानपूर में नरेगा (NREGA) की जमीनी हकीकत

नरेगा NREGA में खुदाई के मानक की प्रधान ने उड़ाई धज्जियां

नरेगा (NREGA) के तहत चल रहे कार्य में ग्राम पंचायत मंधना बगदौधी बांगर के ग्राम प्रधान राजू दिवाकर ने खुदाई के मानक की धज्जियां उड़ा कर रख दी है। ग्राम पंचायत मंधना बगदौधी बांगर के रामनगर मजरा में पिछले कुछ दिनों से नरेगा (NREGA) के तहत 35 मजदूरों द्वारा तलाब खुदाई का काम किया जा रहा है। कई दिनों से प्रधान मजदूरों से 80 से 90 फुट मिट्टी खोद कर करीब 120 फुट दूर फेंकने के लिए दबाव बना रहा था। कल 25 अगस्त को जब मजदूर काम पर पहुंचे तब प्रधान ने उनसे कहा कि अगर 80 से 90 फुट मिट्टी खोदोगे तभी काम होगा नहीं तो आज से काम बन्द। मजदूरो ने कहा कि जब ग्राम्य विकास विभाग ने 72 से 75 घन फुट मिट्टी निकाल कर 50 फुट दूर तक मिट्टी फेंकने का मानक तय किया हुआ है, तब आप मानक क्यों बदल रहे है। हम लोग इसी मानक पर काम करेगें। प्रधान राजू दिवाकर ने तालाब का काम बन्द करके मजदूरों को कह दिया कि आज से अब काम बन्द अब कोई काम नहीं होगा। अगर तुम लोग 80 से 90 फुट काम करोगे तभी अब काम मिलेगा नहीं तो किसी को कोई काम नहीं मिलेगा। जिससे चाहो जाकर हमारी शिकायत कर दो मगर मै काम नहीं दूंगा। उस तलाब में नरेगा (NREGA) के तहत काम कर रहे मजदूर राम कुमार कुरील और उनके साथियों ने यह भी बताया कि यहां पर कराये जा रहे कार्य में भ्रष्टाचार के साथ-साथ बहुत अनियमिततायें बरती जा रही है। नरेगा ;(NREGA) के तहत करायंे जा रहे काम में अपने गांव में मेठ के होते हुए भी उनको मेठ का काम न देकर दूसरे गा्रम पंचायत के आदमी को मेठ पर रखते है। 20 दिन काम के हो जाने के बावजूद अभी तक मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है। कार्य स्थल पर न दवा न पानी कोई सुविधा नहीं रहती है। कार्य स्थल पर कार्य के दौरान मस्टर रोल भी नहीं रखा जाता है। प्रधान राजू दिवाकर ने करीब 25 फर्जी जाब कार्ड बनाकर रखे है। जो कभी काम करने नहीं आते है उनके नाम पर नरेगा (NREGA) का काम दिखाकर उन्हे कुछ पैसे देकर सारा प्रधान अपने पास रख लेता है। मजदूर राम कुमार कुरील ने दो व्यक्तियों श्री कान्त चैहान और रज्ज्न सिंह के बारे में बताया कि प्रधान ने इनके नाम पर फर्जी जाब कार्ड बनाकर रखे है और इनके नाम पर भुगतान करते है जबकि ये लोग आज तक कभी नरेगा (NREGA) में काम नहीं किये है। सभी मजदूर मिलकर इस अन्याय के खिलाफ लड़ने का तय किया है और अपना हक लेने के लिए संघर्ष करने का तय किया है। आज एक तरफ जहां सरकारे आम जन मानस के दबाव के आगे नरेगा (NREGA) कानून में और सहूलियत लाने के साथ-साथ नरेगा (NREGA) में काम के 100 दिन से बढ़ा कर 365 दिन करने कि कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ राजू दिवाकर जैसे भ्रष्ट प्रधान आम जनता के पसीने की कमाई को लूटकर अपना पेट भरने की जुगत लगा रहे है।

Report By, Mahesh & Sahankar Singh

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शुक्रवार, 21 अगस्त 2009

संघर्ष के आगे झुका दबंग प्रधान पति

मजदूरों के संघर्ष के आगे झुका दबंग प्रधान पति
बराण्डा ग्राम पंचायत में नरेगा के तहत किये गये काम के भुगतान के लिया छेड़ा गया संघर्ष अन्ततः रंग लाया और बराण्डा के दबंग प्रधानपति अशोक कटियार ने छः महिने से रूके पैसे का नकद भुगतान किया। बराण्डा ग्राम पंचायत ब्लाक बिल्हौर जिला कानपुर नगर के करीब बराण्डा ग्राम पंचायत के करीब 40 मजदूरों को जनवरी 2009 में करीब 22 दिन नरेगा के तहत अपने खेत के किनारे नाला खुदवाने का कार्य वहां के ग्राम प्रधान श्रीमति रेनू कटियार ने करवाया, लेकिन अभी तक उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ हैं। मजदूरों ने जब भी प्रधान पति अशोक कटियार से अपनी मजदूरी की बात की उन्होंने टाल दिया । चूकिं अशोक कटियार उस क्षेत्र के एक दबंग व्यक्ति के रूप में जाने जाते है, इस लिए मजदूरों ने डर से इस बात की कहीं शिकायत नहीं की । जुलाई महीने में त्ज्प् कार्यकर्ता शंकर सिंह के सम्पर्क में ये मजदूर आये और उन्होंने नरेगा के तहत हुए काम की मजदूरी भुगतान न होने की बात बताई । बैठक के बाद सभी मजदूरों ने संगठित होकर इस अन्याय के खिलाफ संघर्ष छेड़ दिया। इसी संघर्ष के दौरान मजदूरों को पता चला कि जो कार्य उन्होंने किया है वो नरेगा के तहत न कराके ग्राम प्रधान ने अपना व्यक्तिगत काम कराया है। इस बात को लेकर मजदूरों ने प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास, आयुक्त ग्राम्य विकास, जिलाधिकारी कानपुर को शिकायती पत्र लिखा साथ ही कानपुर कि मिडिया ने इस बात को अपने अखबार में प्रमुखता से उठाया। कार्यवाही होने के डर से कल 20 अगस्त से ग्राम प्रधान पति अशोक कुमार कटियार ने मजदूरों के घर जाकर उनके द्वारा किये 22 दिन के काम का नकद भुगतान किया और उनसे मिन्नत की कि आगे अब कोई कार्यवाही न करे। आखिरकार संगठित संघर्ष के कारण उनकी मेहनत का पैसा आज उन्हें मिल गया। इस जीत से मजदूरों को आगे संघर्ष करने कि प्रेरणा के साथ-साथ लोकतंत्र में विश्वास मजबूत हुआ है।

Report By, Mahesh & Sahankar Singh

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गुरुवार, 20 अगस्त 2009

वे डरते हैं......कि लोग डरना न बंद कर दें....

वे डरते हैं...कि लोग डरना न बंद कर दें...
अरविन्द मूर्ति

"मऊनाथभंजन" जो अब जिला बनने के बाद "मऊ" के नाम से जाना जाता है | घनी आबादी वाला ताने बाने का शहर है | जिसके बाशिंदों में मजहबी लिहाज से इस्लाम को मानने वालों की तादात थोड़ी ज्यादा है | इसी वजह से सरकारी और फिरकापरस्ती की सोंच और जुबान में इस शहर को संवेदनशील कहा जाता है | जबकि संवेदनशीलता का वास्तविक अर्थ है जिन्दादिली, इसी जिन्दादिली का जीता जागता सबूत है २९ जुलाई,०९ की घटना, रोज मर्रा की जिंदगी में आम आदमी को, जिसे कदम-कदम पर पुलिस की भ्रष्टाचारी व दमनकारी कार्यवाईयों के आगे झुकना पड़ता है | उससे ऊब कर जब जनता उठ खड़ी हुई तो हंगामा क्यों बरपा ? २९ जुलाई,०९ की सुबह भी करघे की खटपट, घंटे-घड़ियाल, अजान की आवाजों के साथ हुई और शहर के बाशिंदें अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के लिए रोजी-रोटी की तलाश में निकल पड़े | वक्त की सुई चलती रही और समय बढ़ने के साथ-साथ शहर का ही जिला मुख्यालय होने से जिले के हर हिस्से से लोगों के आने का सिलसिला भी बढ़ा, और दिन के सबसे व्यस्ततम समय ११.३० बजे भीड़-भाड़ वाले आज़मगढ़ तिराहे पर खड़ी भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था की शान पुलिस जो तथा कथित आजादी के ६२ वर्षों बाद भी अंग्रेजों के अट्ठारह सौ एकसठ (१,८६१) के बनाये कानून से चलयी जा रही है | जिसने अपनी कर्तब्य निष्ठां (बेईमानी) का पूरी ईमानदारी से पालन करते हुए "नो एंट्री" समय में चौदह टायरोंवाली ट्रक को शहर में जाने की इजाजत देते हुए पुलिस का एक जवान ट्रक पर चढ़ चढ़कर ट्रक ड्राईवर से पैसों की मांग करने लगा मात्र २० रुपया न देने की जिद पर अड़े ट्रक ड्राईवर ने पुलिस जवान को धक्का मारा जिससे वह नीचे गिर पड़ा, ड्राईवर ट्रक लेकर बेतहासा भाग चला | हलीमा अस्पताल के सामने एक ऑटो-रिक्शा व मारुतीकार को धक्का मारते हुए आज़मगढ़ जाने वाली सड़क से मिर्जाहादीपुरा जा पहुंचा वहां से वह शहर के बाहर आज़मगढ़ की तरफ न जाकर मिर्जाहादीपुरा चौक से शहर में घुस गया |

सवाल दर सवाल--मिर्जाहादीपुरा चौक पर २४ घंटे ड्यूटी पर तैनात रहने वाली पुलिस ने "नो एंट्री" जोन में जाने वाली इतनी बड़ी ट्रक को जो एंट्री के समय भी शायद ही अन्दर जा सकती हो कैसे जाने दिया ? अगर ट्रक अन्दर घुस गया तो पुलिस वालों ने आगे के पुलिसबूथ पर तैनात पुलिस सहकर्मियों को आगाह क्यों नहीं किया ? साथ ही अपने पुलिस के आला-अफसरों को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी ? मिर्जाहादीपुरा से बंधे तक ३ किलोमीटर की दूरी तय करने वाले ट्रक को जो शहर को रौंदता हुआ गया बीच में न रोक पाने वाली नाकाम पुलिस यहाँ तक कि इस बीच जिला प्रशासन की नाक और पुलिस का अंतिम किला (कोतवाली) जिसको बचाने के लिए ही पुलिस ने आम लोगों पर गोली चलाई उसके सामने पर भी ट्रक गुजरी, आखिर पुलिस क्या करती रही ? यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है |

वर्निंग ट्रेन बनकर.......गुजरे ट्रक ने शहर की लाइफ लाइन मानी जाने वाले सड़क पर पैदल रिक्शा, ऑटो, साइकिल, मोटर साइकिल, ठेला, फुटपाथों को लहू लुहान कर दिया और इस दरम्यान ट्रक से कुचल कर १. वैद्य नन्हकू राम २. संदीप पाटिल ३. मसीहुत जमां ४. आयशा खातून इन चार लोगों की मौत और लगभग ३० लोग जख्मी हो चुके थे | इस संवेदनशील शहर के बाशिंदे मजहब और जाति का भेदभुला कर एक दूसरे की मदद में तल्लीन हो चुके थे | पूरा शहर मायूशी में डूब गया था पर हंगामें की शुरुआत किसने की और कहाँ हुयी यह बहुत ही संदेहास्पद बना हुआ है और अन्य घटनाओं की तरह अफवाहों का दौर चलता रहा | सच जिन्दा रहे का उदघोष करने वाले दैनिक अख़बार अमर उजाला, ३० जुलाई 09 वाराणसी संस्करण की माने तो,"बवाल तब शुरू हुआ जब ट्रक पुलिस भर्ती का फॉर्म लेने के लिए डाकघर पर लाइन लगाये अभ्यर्थियों को धक्का मारते हुए निकल गया | नाराज अभ्यर्थियों ने कोतवाली पर पथराव कर दिया | पीछे से बाजार के लोग भी वहां पहुँच गए " और आम लोगों का गुस्सा पुलिस के खिलाफ़ फ़ुट पड़ा और यह आक्रोश पूरी तरह से पुलिस की सम्पत्ति पर रहा, और शहर के अन्दर बने पुलिस बूथों को लोगों ने तोड़ डाला मुख्य डाकघर की आगजनी भी संदेहास्पद है | इसमें पुलिस की भूमिका संदिग्ध है | प्रत्यक्षदर्शी लोग पुलिस के आतंक से कुछ भी बताने को तैयार नहीं हैं | डाकघर का हमेश बंद रहने वाला गेट अवश्य तोड़ा गया है | वह भी कोतवाली से हुए फायरिंग और गोली लगने से हुयी मौतों के बाद | क्योंकि शहर के अन्दर सभी बैंक और डाकघर पूरी तरह सुरक्षित रहे हैं |

पुलिस की घिनौनी साम्प्रदयिक चाल नहीं चली-पुलिस प्रशासन ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए लोगों के गुस्से को साम्प्रदायिक रंग में रंगने की भरपूर कोशिश की यहाँ तक कि तत्कालीन एसपी ने बयान दे डाला कि मैंने दंगा रोंका है | जबकि हिन्दू-मुस्लिम एक जुट होकर सिर्फ पुलिस के खिलाफ़ सड़क पर उतरे कहीं भी किसी ने किसी की दुकान पर एक नजर नहीं देखा न ही किसी का कुर्सी टेबल, बोर्ड छुआ | आम लोगों के वाहन भी शहर में सही सलामत रहे | यह गुस्सा हिन्दू-मुस्लिम की एकता और मजबूती की मिशाल बन गया | लोगों का एक दूसरे पर भरोसा, विश्वाश का एहसास बहुत गहरा हुआ |

पुलिस के खिलाफ़ इस तरह का आक्रोश 26 मई, २००५ को भीटी में युवाव्यापारी सहित ३ लोगों की हुई हत्या के बाद भी दिखा था | जब लोगों ने भीटी पुलिस चौकी को ध्वस्त कर दिया | पुलिस के उच्च अधिकारियों के वाहन फूंक डाला था |

कानून दिशा-निर्देशों का खुला उलंघन करते हुए पुलिस ने गोली चलाई | प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पुलिस ने न तो आंसू गैस के गोले छोड़े न रबर की गोलियां चलाई, पानी की बौछार नहीं करने की बात तो खुद पुलिस ने केंद्र को भेजी रिपोर्ट में कहा | लेकिन २५ रबर की गोली, ३० आंसू गैस के गोले, १४ राउंड फायर रायफल से, १ गोली रिवाल्वर से चलना बताया गया है | लेकिन लोगों को न तो आंसू गैस के खाली गोले मिले न रबर की गोलियां मिलीं | मिलीं तो सिर्फ लोगों के शरीर में गोलियां या उनके निशान जो दीवालों पे, मस्जिद की दीवालों में, दुकानों के शटर में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं | कोतवाली से लेकर हट्ठी मदारी चौकी मिर्ज़हादीपुरा के दक्षिण टोला थाने तक गोलिया चली पुलिस ने सारे दिशा निर्देशों का खुला उलंघन करते हुए लोगों पर गोलियां चलाई | पुलिस की गोली से मरने वाले ४ लोगों को गोलियां क्रमशः गले में, सीने में, पेट में, और कमर से ऊपर ही लगीं जो कानूनन गलत है |

कानून का पालन करने वाले खुद कानून का उलंघन करें तो इन्हें दोहरी सजा मिलनी चाहिए | इन गोली चलाने वालों को चिन्हित कर उनके ऊपर हत्या का मुकदमा चलाना ही न्याय संगत होगा और लोकतंत्र की मजबूती का आधार बनेगा, तथा पूरे देश में होने वाले धरना, प्रदर्शन, आन्दोलन, जन अक्रोशों पर चलने वाली गोली मर्यादित होगी | पुलिस की गोली से मरने वालों की एक झलक यु तों देश भर में पुलिस की गोली का शिकार, निरपराध, गरीब मजदूर ही होता है | वही यहाँ भी हुआ |

मो. अज़मल उम्र २५ साल रिक्शा चलाकर पूरे परिवार का पेट पालने वाला एक मात्र कमाऊ सदस्य जो रिक्शा लेकर इस शहर में रहा | अनवर जमाल उम्र ३० साल, पॉवर-लूम चलाते थे, हंगामें में घर भाग रहे थे, गोली लगी | शमशाद, दिहाडी मजदूर, मजदूरी करके लौट रहे थे, गोली लगी | मो. जाहिद उम्र १८ वर्ष, पढाई करके घर लौट रहे थे, गोली लगी और इन चारों की मौत हो हुई | इसी तरह के २० लोग गोली लगने से घायल हुए इनमें कई लोगों की हालत अभी भी गम्भीर बनी हुई है | कुछ लोग तो ऐसे घायल हैं जो जिन्दा रहकर भी मरे हुए रहेंगे | यह लोग आजीवन विकलांगता के शिकार होकर रह जायेंगे | ऐसे निरपराध लोगों को देख कर राजेश जोशी की ये पक्तियां बरबस याद आती हैं-
"इस समय /सबसे बड़ा अपराध है /निहत्थे और निरपराध होना /जो अपराधी नहीं होंगे /मारे जायेंगे |"

पुलिस उत्पीड़न का सिलसिला जारी ----------२९ जुलाई,२००९ को मऊ गोली कांड के बाद से ही कानून व्यवस्था की कमजोरी को सरकार अपनी तरफ से छुपाने की भरपूर कोशिश कर रही है | पुलिस सहित पूरे प्रशासनिक अमले को बचाने में लगी है | मात्र प्रतीकात्मक तौर पर तत्कालीन एसपी व गोली चलाने का आदेश देने वाले एसडीएम का तबादला कर दिया गया और ऊपर से एडीजी कानून व्यवस्था बृजलाल ने धौंस दी कि उपद्रियों पर गैंगस्टर और रासुका लगाया जाय जिससे तमाम लोग जो पुलिस की गोलियों से घायल हुए है अपना इलाज चोरी चुपके आसपास के निजी चिकित्सालयों में अपनी तंग हाली के बाद भी जीवन बचाने के लिए करा रहे हैं | क्योंकि स्थानीय स्तर पर पुलिस ने यह हौवा खडा कर दिया कि इन्ही घायल उपद्रियों पर बाद में मुकदमा चलेगा | जिससे लोग डर गए और अपने को घायलों की सूची में दर्ज कराना छोड़ दिया | फिर भी ३२ लोगों पर नामजद और १००० अज्ञात लोगों पर तोड़ फोड़ आगजनी और सरकारी सम्पत्ति लुटने का मामला दर्ज किया गया | इसको लेकर आम लोगों में बेहद गुस्सा है | जो कभी भी फ़ुट सकता है |


इस पूरे पुलसिया आतंक के खिलाफ़ तमाम जनसंगठन पीयूसीएल, पीयूएचआर जैसे मानवाधिकार संगठन विरोध कर रहे हैं | जनकवि गोरख पाण्डेय की ये पंक्तियाँ--"वे डरते हैं / तमाम गोला बारूद से / नहीं / वे डरते हैं / तमाम पुलिस फौज से / नहीं / वे डरते हैं कि जिस दिन / निहत्थे, निरपराध, बे जुबान जानता, डरना बंद कर देगी / उस दिन हमें भागना पड़ेगा |"

अरविन्द मूर्ति
(लेखक: जनांदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय, सूचना अधिकार अभियान से जुड़े हैं, सद्भाव और लोकतंत्र की मजबूती के लिए जमीनी संघर्षों में हिस्से दरी के साथ "सच्चीमुच्ची" मासिक पत्रिका के संपादक हैं )

झोपड़ पट्टी में रहने वालों का भी हैं अपना अधिकार

शिक्षा, आवास मौलिक अधिकार पर झोपड़ पट्टी में रहने वालों का भी अपना अधिकार

बड़े-बड़े लोगों की अपनी बातें, अपने काम, अपना अधिकार, अपनी दादागिरी सबकुछ अपना मानते हैं लेकिन, उन्हेंनहीं मालूम होगा या वे अंजान बनने की कोशिश कर रहे हैं कि यदि ये गरीब, मजदूर लोग जो आज झुग्गी-झोपड़ी मेंबसर कर रहे हैं बिना किसी लालच और बिना किसी दूसरे को नुकसान पहुंचाए बस चिंता है तो दो वक्त के पेट्रोलभोजन) की जिसके बिना ये शारीरिक इंजन नहीं चल सकता है | बस सिर पर एक छत की और जीवन चलाने केलिए रोजगार की और उन अधिकारों की जिन्हें सबसे पहले इन भारत निर्माण करने वाले बजाय अमीर, धनाढ्य, नेताओं, सरकारी तंत्र, बहुमंजिले आवास वालों को उनकी गन्दगी साफ़ करने तक इन झोपड़ी वालों की अहम्भूमिका होती है | जिस दिन ये लोग अपना काम करना बंद कर देंगे उसी दिन शहर वाले (राजनेता, नौकर-शाही ) सब के सब मर जायेंगे | तो भला अब बताइए कि सबसे पहले किसके अधिकारों की बात होनी चाहिए ?

इन सब अधिकारों को लेकर ये लड़ाईयां लड़ी जा रही हैं | इनमें है- लखनऊ शहर में बसी झोपड़- पट्टी डालीगंज, इस्माईल गंज आदि | झोपड़-पट्टी डालीगंज में करीब २५० परिवार झुग्गी-झोपड़ी बनाकर किसी तरह अपनाजीवन यापन करते हैं | ये वो लोग हैं जो शिल्पकारी (पत्थर का काटने), रिक्शा चालक, सब्जी का ठेला, मजदूरीकरते हैं | ये लोग करीब पिछले 25 सालों से गोमती नदी के किनारे प्लास्टिक की शीट डाल कर अपनी जीविकाचलाते चले रहे हैं | यहाँ पर "आशा ट्रस्ट " की तरफ से इनके बच्चों के लिए एक शिक्षा केंद्र चलता था | लोगअपनी जिंदगी बिना किसी सरकारी मदद के गुजार रहे हैं | बसपा सरकार, जो दलित की सरकार मानी जाती है, कीमुखिया के जन्म दिन पर इन झोपड़-पट्टी में रहने वालों को तोहफ़ा मिला बुलडोजर...........!

बुलडोज़र ने पहला काम किया सुबह बजे, लोगों के झोपड़े तोड़ने का, लोगों के झोपड़े में रखा पका-पकाया भोजन, बर्तन, घरेलू सामान को रौंदते हुए टीन सेडों और घास फूस और प्लास्टिक के तिरपाल को फाड़ते हुए आगे बढ रहा थातो दूसरी तरफ बहन जी ५२ किलो का केक काट रहीं थीं | बुलडोज़र की दहशत में झोपड़-पट्टी की गर्भवतीमहिला(दरुन्निशा पत्नी असगर अली ) प्रशव-पीडा से तड़प रही थी | प्रशासन मूक बना देखता रहा जबकि प्रशासनके आला-अफसर वहां मौजूद थे किसी ने इस महिला को हॉस्पिटल तक ले जाने की जहमत नहीं उठाई | अंततः मेरेद्वारा इस महिला को एक ठेलिया से सरकारी हॉस्पिटल पहुँचाया गया | जहाँ पर उसने समय से पूर्व दो जुड़वाँ बच्चोंको जन्म देने में रही खून की समस्या को मैंने अपना रक्त दान करके पूरा किया | एक माह की गर्भवती महिलामंतशा पत्नी राजू) जिसने बुलडोज़र की दहशत में समय से पूर्व मृत बच्चे को जन्म दिया |

बिना किसी सरकारी आवास की वैकल्पिक व्यवस्था किये इन लोगों को खुले मैदान में छोड़ दिया गया | सरकार ही सरकारी आदमियों को इसकी कोई परवाह थी | जिसका सहारा था उसी के राज्य की राजधानी लखनऊ में इन्हेंउजाडा गया अब ये जाएँ तो कहाँ जाएँ ? ऊपर से आरोप बंगलादेशी | क्योंकि मज़हब के लिहाज़ से मुसलमान, गरीबहोना, झोपड़ -पट्टी में रहना, बंगलादेशी घुसपैठिया होनी की पहली पहचान है | सीधे बंगलादेशी घोषित करकेइनके अधिकारों से वंचित करना सरकार की सोची-समझी साजिस है |

अब ये लोग बिना किसी सरकार या सरकारी परमीसन के शहरी गरीब आवास योजना के तहत बने आवासों में, जोशहर के बड़े-बड़े या फिर ठेकेदारों के नाम कर दिए गए हैं जिसमें किसी गरीब को मकान नहीं मिला है, कब्जा करकेअपने अधिकारों (स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, भोजन, पहचान पत्र) की लडाई लड़ रहे हैं | हम इनके अधिकारों कीलडाई में शामिल होकर इसका नेतृत्व कर रहे हैं | सरकार की जितनी योजनायें हैं उनका लाभ इन तक घसीट करलाने दिलाने की कोशिश कर रहा हूँ | अब इनके बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिले मिलने लगे हैं और राशन कार्डभी बनने लगे हैं | ये तो महज थोड़ी जीत की शुरुआत है | जबतक ये अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं हो जातेतथा इनका अधिकार नहीं मिल जाता, हमारी लड़ाई जारी रहेगी |



चुन्नीलाल
chunnilallko@gmail.com

बुधवार, 19 अगस्त 2009

नरेगा (NREGA) में फर्जी जाब कार्ड बनाकर कर रहे भ्रष्टाचार

नरेगा (NREGA) में फर्जी जाब कार्ड बनाकर कर रहे भ्रष्टाचार
सरकार और जनता के बीच की कड़ी जनप्रतिनिधि और प्रशासन, वर्षो से आम आदमी को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं को हड़पते रहे है। वर्तमान समय में इनकी हड़पने की भूख निश्चित ही और तेज हो गई है, तभी इस देश की आम जनता को नरेगा के तहत मिलने वाली मेहनताने को भी फर्जी जाब कार्ड बनाकर लूटने की कवायद ग्राम प्रधान कर रहे है। कानपुर नगर में ककवन ब्लाक के इब्राहिमपुर रौस ग्राम पंचायत के करीब 50 ग्रामीणों ने कानपुर नगर के जिलाधिकारी को शपथ पत्र देकर अपने ग्राम पंचायत इब्राहिमपुर रौस के ग्राम प्रधान रमाकान्ती यादव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, कि ग्राम प्रधान रमाकान्ती ने करीब 100 जाब कार्ड फर्जी नामों पर बना कर रखे है, और उन पर कामों के दिन चढ़ा कर उसका भुगतान भी करा लिया है। इब्राहिमपुर रौस ग्राम पंचायत के करीब 42 ग्रामीणों को जो जाब कार्ड दिया गया उस पर जाब कार्ड संख्या भी दर्ज नहीं की गयी है। सन 2008 में इब्राहिमपुर रौस ग्राम पंचायत के करीब 45 मजदूरों ने नरेगा (NREGA) के तहत ग्राम इब्राहिमपुर रौस में हरीजन पुरवा से सुरसी मार्ग तक कच्ची सड़क पर मिट्टी डालने का कार्य कराया गया, जिसमें पानी निकासी के लिए नाली का काम करीब 7 दिनों तक चला, जिसके मजदूरी का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। इब्राहिमपुर रौस ग्राम पंचायत में ही नरेगा (NREGA) के तहत दिनांक 4/06/2009 से 15/06/2009 तक करीब 100 मजदूरों ने मानपुर से मेन रोड विजदन तक कच्ची सड़क का निर्माण कार्य किया जिसकी मजदूरी का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। इब्राहिमपुर रौस ग्राम पंचायत में नरेगा (NREGA) के तहत कराये जा रहे कामो में नरेगा (NREGA) कानून की जम कर धज्जिया उड़ाई जा रही है। मजदूरो द्वारा काम मांगे जाने पर ग्राम पंचायत सचिव गाली देकर भगा देता है और काम उन्ही को देता है, जो ग्राम प्रधान के खास या सर्मथक लोग है। नरेगा (NREGA) के तहत कराये जा रहे कार्यस्थल पर कोई मस्टर रोल नहीे रखा जाता है और न ही हस्ताक्षर कराये जाते है। अगर कभी कोई मजदूर इन बातों को लेकर शिकायत करने की कोशिश करता है, तो ग्राम प्रधान रमाकान्ती यादव उसकी पिटाई करा देता है। 62वीं तथाकथित आजादी दिवस मनाने के बावजूद आज भी इस देश की आम जनता कहीं भी आजाद नहीे दिखाई दे रही है । जिस देश में अपनी मेहनत की मजदूरी मांगने पर पिटाई होती हो हम कैसे कह सकते है कि सही अर्थो में हम आजाद है। ये आजादी झूठी है, सही अर्थो में हम तभी आजाद हो सकेंगे, जब इस देश का आम आदमी अपने को आजाद महसूस करेगा।

Report By, Mahesh & Sahankar Singh

“Asha Pariwar”, Kanpur

“Apna Ghar”
B-135/8, Pradhane Gate, Nankari ,IIT, Kanpur-16 India

Ph: +91-512-2770589,Cell No. +91-9838546900
http://balsajag.blogspot.com/,http://rtiup.blogspot.com,http://alivephoto.blogspot.com,www.ashaparivar.org

मंगलवार, 18 अगस्त 2009

दबंग जनप्रतिनिधियों के आगे दम तोड़ता नरेगा (NREGA)

दबंग जनप्रतिनिधियों के आगे दम तोड़ता नरेगा (NREGA)
सरकार के तमाम दावों के बावजूद कानपुर नगर बिल्हौर ब्लाक के बराण्डा ग्राम पंचायत में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून दबंग प्रधान पति के आगे दम तोड़ता नजर आ रहा है। जहां एक तरफ सरकार पारदर्शिता और मजदूरों के हक देने की बात कह रही है वही दूसरी तरफ बराण्डा ग्राम पंचायत में मजदूरों के शोषण एंव नरेगा में भ्रष्टाचार का नया अध्याय लिखा जा रहा है । बराण्डा ग्राम पंचायत के करीब 40 मजदूरों को जनवरी 2009 में करीब 22 दिन नरेगा के तहत अपने खेत के किनारे नाला खुदवाने का कार्य वहां के ग्राम प्रधान श्रीमति रेनू कटियार ने करवाया, लेकिन अभी तक उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ हैं। मजदूरों ने जब भी प्रधान पति अशोक कटियार से अपनी मजदूरी की बात की उन्होंने टा दिया । चूकिं अशोक कटियार उस क्षेत्र के एक दबंग व्यक्ति के रूप में जाने जाते है, इस लिए मजदूरों ने डर से इस बात की कहीं शिकायत नहीं की । जुलाई महीने में आर० टी० आई० कार्यकर्ता शंकर सिंह के सम्पर्क में ये मजदूर आये और उन्होंने नरेगा के तहत हुए काम की मजदूरी भुगतान न होने की बात बताई । शंकर सिंह ने मजदूरों की तरफ से एक शिकायती पत्र बिल्हौर ब्लाक के विकास खंड अधिकारी लाला जी सिंह को दिया । मजदूरों को लेकर शंकर सिंह ने बराण्डा ग्राम पंचायत के ग्राम पंचायत सचिव महेन्द्र कुमार गौतम से मुलाकात की उन्होनें बताया कि उनके रिकार्ड में इस काम का कोई जिक्र नही है, और ये काम उनसे पूर्व रहे सचिव के कार्यकाल का है । ये काम हो सकता है प्रधान ने अपना व्यक्तिगत करवाया हो, इसलिए इस संदर्भ में हम कोई मदद नही कर सकते । बराण्डा ग्राम पंचायात के मजदूरों ने बताया कि आज तक हम लोगों ने जाबकार्ड भी नहीं देखा है, सभी जाबकार्ड प्रधान के घर पर रहता है । कार्य स्थ पर मस्टर रोल नहीं रखा जाता है । प्रधान उन्ही का जाबकार्ड बनवाते है जो उनके साथ है । काम मांगने पर कहते है कि पैसा नही है जब आयेगा तब काम करायेंगे। कुछ मजदूरों ने बताया कि उनसे प्रधान ने अपने भठ्ठे पर काम करवाया मगर भुगतान नरेगा के तहत हुआ । इन बातो कि शिकायत डर के मारे किसी से नहीं कर पाते है । मजदूरों द्वारा की गई षिकायत की छायाप्रति संल्गन है ।
ग्राम पंचायतः- बराण्डा
विकास खण्डः- बिल्हौर

जिलाः- कानपुर नगर
ग्राम प्रधानः- श्रीमति रेनू कटियार (प्रधान पति अशोक कटियार )
ग्राम पंचायत सचिवः- महेन्द्र कुमार गौतम मोः 9889406760
(BDO) बिल्हौरः- लाल सिंह मो0ः 9793039660


शंकर सिंह / महेश
"आशा परिवार", कानपूर