गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

गाँधी से शर्मीला अभियान

२४-२६ फरवरी २०१० के दौरान तीन दिवसीय गाँधी से शर्मीला अभियान से सैंकड़ों लोग जगह-जगह जुड़े हुए हैं. इम्फाल, मणिपुर में देश भर से विभिन्न सामाजिक आंदोलनों से जुड़े हुए सामाजिक कार्यकर्ता इकठ्ठे हुए हैं और तीन दिवसीय उपवास के माध्यम से (२४-२६ फरवरी २०१०) इस अभियान को सशक्त कर रहे हैं. इस "गाँधी से शर्मीला अभियान" को संयुक्त रूप से आयोजित किया है: अपुन्बा शर्मीला कांबा लूप, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एन.ए.पी.एम्), आशा परिवार, इंसाफ, जस्ट पीस फाउनडेशन, ह्यूमन राईटस अलर्ट और रीचआउट ने.

नवम्बर २००९ में कवयित्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मीला ने अपने उपवास के दस साल पूरे कर लिए हैं. इरोम की मांग है कि आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पॉवर एक्ट (ए.ऍफ़.एस.पी.ए) को हटाया जाए. इरोम ने अपना उपवास दस साल पहले शुरू किया जब मणिपुर के मालोम में भारतीय सेना ने दस निर्दोष लोगों को मार दिया था. पुलिस ने इरोम को ६ नवम्बर २००० को गिरफ्तार कर लिया और भारतीय पेनल कोड सेक्शन ३०९ के तहत आत्महत्या करना का आरोप लगाया. इरोम का स्वास्थ्य दस साल से अधिक के उपवास से निरंतर गिरता गया है. इन दस सालों से अधिक समय में, इरोम ने एक बूँद पानी भी नहीं ग्रहण की है, और जबरदस्ती नाक के रास्ते से उनको ट्यूब द्वारा पोषण दिया जाता है.

ये कानून जम्मू एवं कश्मीर में रहने वाले कुछ वर्ग के मुस्लमान और उत्तर-पूर्वी राज्यों में रहने वाले लोगों के लिए विशेष बनाया गया लगता है. संयुक्त राष्ट्र की जात-पात भेदभाव मिटने के लिए कमिटी (UN Committee on Elimination of Racial Discrimination) ने ६ मार्च २००७ को इस कानून को हटाने की बात की है. यह विरोधाभास ही तो है कि भारत जो सबसे बड़ा लोकतंत्र राष्ट्र होने का दावा करता है, और जिसने एक ओर सैन्य शक्ति की बढ़ोतरी के लिए निरंतर प्रयास किये हैं जिससे कि देश के नागरिकों की रक्षा हो सके, वहीँ दूसरी ओर राज्य-प्रायोजित हिंसा और मानवाधिकार का उलंघन इस कानून की आड़ में हो रहा है, जिसकी सुनवाई किसी भी कोर्ट में नहीं हो सकती है. इस मुद्दे पर सरकार की चुप्पी नी:संदेह निंदा की पात्र है.

इस बिंदु पर, हम सब इरोम शर्मीला के प्रति अपना सहयोग व्यक्त करते हैं और हमारी मांग है कि:
- ए.ऍफ़.एस.पी.ए. को बिना विलम्ब हटाया जाए
- स्कूल, विश्वविद्यालय और अवासिक छेत्रों से सेना को हटाया जाए
- सेना के जिन लोगों ने बलात्कार, हत्या और अन्य अपराध किये हैं, उनके खिलाफ करवाई हो

हमारी विनती है कि आप सब इम्फाल में या जहां भी आप हों, वहीँ लोगों को इकठ्ठा कर के गाँधी से शर्मीला अभियान में शामिल हों, और २४-२६ फरवरी २०१० तक उपवास रखें.



अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:
फैसल खान (आशा परिवार और जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय) 09313106745, 09868619699
संदीप पाण्डेय (आशा परिवार और जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय) ०५२२ २३४७३६५
निन्ग्लूं हंगल (जस्ट पीस फ़ोउनडेशन) 9868592768, insafdelhi@gmail.com
इरोम सिंहजित (जस्ट पीस फाउनडेशन) 9862696184, iromsinghajit@gmail.com
अरविन्द मूर्ति (जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, उत्तर प्रदेश)
एम्.एच. गाँधी (आशा परिवार), गुजरात
सज्जाद हुसैन (जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, जम्मू एवं कश्मीर
बसंता वारेप्पम (ह्यूमन राईटस अलर्ट), wareppa@gmail.com
क्षेत्रिमयुम ओनील (रीचआउट), onilrights@gmail.com

साभार: सिटिजन न्यूज सर्विस

http://hindi.citizen-news.org

शनिवार, 6 फ़रवरी 2010

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का तीन दिवसीय कैम्प सम्पन्न

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का तीन दिवसीय कैम्प सम्पन्न

आज दिनांक 06 फरवरी 2010 को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का तीन दिवसीय कैम्प सम्पन्न हुआ। यह कैम्प जिलाधिकारी, लखनऊ के परिषर में आशा परिवार और जनआंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के बैनर तले सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा 04 फरवरी 2010 से 06 फरवरी 2010 तक आयोजित किया गया था। इस कैम्प का मुख्य उददेश्य यह था कि आम जनता जो सरकारी विभागों से अपने हक को जानने व पाने के लिए परेशान रहती है वह सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का प्रयोग करके प्राप्त कर सकती है। वह अपने कार्यों की जानकारी, अपने से जुडे उन तमाम आवेदन पत्रों की स्थिति जो उसने विभागों को इस आशय से दिया था कि निश्चित समय में इन पर कार्यवाई होगी और हमारा हक हमें प्राप्त हो जायेगा।
इस तीन दिवसीय कैम्प में करीब 350 लोगों ने जानकारी के साथ आवेदन पत्रों को तैयार करने के विषय में जानकारी प्राप्त की। इस कैम्प में लोगों को जानकारी देने से लेकर आवेदन बनाने का कार्य किया गया। इसमें तमाम विभागों से संबंधित मामले सामने आये। जैसे- विधवा पेंशन के फार्म लोगों ने कई साल पहले भरे थे लेकिन उसका जवाब अभी तक नहीं मिला और तो और, उनका फार्म अब कहाँ है यह भी उन्हें नहीं पता। बडी मुश्किल से ये लोग अपना आवेदन समाज कल्याण विभाग तक पहुंचा पाते हैं। क्योंकि उसमें की जो फारमेल्टीज हैं उन्हें पूरा करने में तमाम खर्च के अलावा बहुत दौड-धूप करनी पडती है तब जाके कहीं फार्म जमा करने की नौबत आती है। यह करना एक आम आदमी के लिए बडी मुश्किल की बात है जिसे खाने के लाले पडे हों। इसी तरह से अपने सरकारी विभाग से रिटायर कर्मचारी कई सालों से विभाग के चक्कर लगाते हैं कि मेरी पेंशन समय से मिल जाये और प्रमोशन के हिसाब से मिले । इसके लिए उन्होंने विभागों के छोटे कर्मचारी से लगाकर बडे अधिकारियों को आवेदन दिया लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। अब हार थक कर बैठ चुके है। इसी तरह का मामला है कि एक वरिष्ठ लिपिक सिविल कोर्ट लखनऊ में कर्मचारी थे बेचारी बीमारी का शिकार हो गये और अपना इलाज मेडिकल कालेज से लगाकर बडे-बडे अस्पतालों में कराया। ठीक तो हो गये । जितनी बीमारी में तकलीफ नहीं थी उतनी भागदौड करके अब परेशान हैं क्योंकि उन्हें मेडिकल खर्च नहीं मिल पा रहा है। जिसको प्रार्थना पत्र देते हैं । एक महीने बाद जाते हैं तो पता चलता है कि उनका प्रार्थना पत्र ही गायब हो गया है। कोई अपनी भर्ती प्रक्रिया को लेकर रो रहा है। एक सज्जन ने 1997 में उत्तर रेलवे में सफाई कर्मी के पद के लिए आवेदन किया था। उनका साक्षात्कार भी हुआ था और मेरिट लिस्ट में नाम भी आ गया। लेकिन बेचारे अभी भटक रहें है। क्योंकि उनसे कम नम्बर पाने वाले और साक्षात्कार न देने वालों को नौकरी मिल गयी और बराबर नौकरी कर अपनी तनख्वाह उठा रहे हैं। उन्हें क्यों नौकरी नहीं मिली । यह उनकी समझ से परे है। वह जानना चाहते हैं कि आखिर यह कैसे हुआ। मेरा नाम मेरिट लिस्ट में आने के बाद भी मैं खाली बैठा हॅू । मुझे नियुक्ति क्यों नहीं मिली। मुझसे कम नम्बर पाने वाले कैेसे नियुक्ति पा गये।
इन सब परेशानियो को जानने और अपने हक की लडाई लडने में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 ही कारगर साबित होता है। यह जानने के लिए लोगों की भीड उमड पडी। जमकर जानकारी ली। इससे उनका इतना विश्वास हो गया कि चलो अब अधिकारी कुछ नहीं करेगें तो सूचना देने के लिए तो बाध्य होगें ही। कम से कम यह तो पता चल जायेगा कि हमारा फार्म कहाॅ है और उस पर क्या कार्यवाई की गयी है। उसकी क्या स्थिति है। मेरा काम किन कारणों से रूका है। यह काम कब तक हो जायेगा। अब कोई अधिकारी ज्यादा दिन तक परेशान नहीं कर पायेगा। वह सूचना देने में बहाना नहीं कर पायेगा।
लोगों ने यह सब जानकारी पूर्णतया सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धाराओं जैसे- 6(1),6(3) समेत प्राप्त की। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में जो धारा 6(1) है वह सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदन देने के लिए होती है जिसके तहत आवेदन किया जाता है। धारा 6(3) के तहत अधिकारी किसी भी विभाग से सूचना लाकर आवेदक को देने के लिए बाध्य होता है। वह यह बहाना करके आवेदन अस्वीकार नहीं कर सकता है कि यह सूचना या इसका कुछ भाग मेरे विभाग से संबंधित नहीं है। इन तमाम जानकारियों के अभाव में कभी-कभी आवेदक का आवेदन विभागीय अधिकारी यह कह कर वापस कर देते थे कि अरे! यह सूचना तो हमारे विभाग से संबंधित नहीं थी आप जिस विभाग से संबंधित है उसमें आवेदन करे।
उपरोक्त जानकारियों को बताते हुए और इससे जुडे कार्यकर्ताओं के सम्पर्क सूत्र देते हुए, लोगों को जानकारी उपलब्ध करायी गयी। जो लोग आवेदन नहीं बना पाते थे उनको आवेदन बनाना बताया गया। इसको हिन्दुस्तान दैनिक अखबार ने 05 फरवरी 2010 के अंक में प्रकाशित भी किया। इसमें मुख्य रूप से और सामाजिक क्षेत्रों से जुडे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और लोगों को जानकारी से लेकर आवेदन बनाने में मदद की। चुन्नीलाल ( जिला समन्वयक, आशा परिवार), आशीष कुमार, उर्वशी जी, नसीर जी कार्यकर्ता, आशा परिवार व मानव मूल्य रक्षा समिति की अध्यक्षा श्रीमती लक्ष्मी गौतम जी व सामाजिक कार्यकर्ता तथा मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित व एन0ए0पी0एम0 के राष्ट्रीय समन्वयक डा0 संदीप पाण्डेय जी ने मुख्य रूप से भाग लिया। विशेष जानकारी देने के लिए और सहयोग के लिए सभी का धन्यवाद।
भवदीय,
चुन्नीलाल
(जिला समन्वयक, आशा परिवार)
मे0 नं0 09839422521

गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

इरोम शर्मीला के समर्थन में २४ फ़रवरी से २६ फ़रवरी तक इम्फाल, मणिपुर ३ दिन का उपवास

इरोम शर्मीला के समर्थन में २४ फ़रवरी से २६ फ़रवरी तक इम्फाल, मणिपुर में ३ दिन का उपवास
आशा परिवार और अन्य जन संगठन के साथियों ने मिलकर इरोम शर्मिला के संघर्ष के समर्थन में और आर्म फ़ोर्स (स्पेशल पावर) एक्ट १९५८ के विरोध में एक तीन दिवसीय उपवास का आयोजन इम्फाल में करने का निर्णय लिया है। आप सभी इस संघर्ष में भागीदार होकर इस संघर्ष को मज़बूत करते हुए मानव अधिकार के उलंघन को रोक सकते है......



3 DAY FAST IN SOLIDARITY WITH IROM SHARMILA: IMPHAL, 24TH-26TH FEBRUARY, 2010
VENUE-APDA -COMPLEX(POROMPAT) IMPHAL
Date 24th februry to 26th feb 2010
Dear All,we are aware that In November 2009, poet and activist Irom Sharmila from Manipur entered the 10th year of her hunger strike demanding the repeal of the Armed Forces (Special Powers) Act, 1958(AFSPA). She started the hunger strike after the Indian Army massacred ten innocent civilians in Malom, Manipur. This was already the twentieth year of the application of the AFSPA in Manipur. On 6 November 2000, she was arrested by the police and charged with attempt to commit suicide under section 307 of the Indian Penal Code. Her health deteriorated gradually and she did not accept even a single drop of water except being forcefully fed by nasogastric intubation.
We feel that AFSPA grants the Indian Army special powers throughout North-East India and Kashmir to:

· Arrest citizens and enter their property without warrant;

· Shoot and kill anyone on mere 'suspicion';

· Enjoy immunity against legal action.


According to the government appointed Justice Jeevan Reddy Commission 'the Act has become a symbol of oppression, an object of hate and an instrument of discrimination and high-handedness. ' The United Nations Committee on Racial Discrimination has urged the Indian government to repeal the law. AFSPA is one of the most draconian legislations that the Indian Parliament has passed in its 60 years of history. Under this Act, all security forces are given unrestricted and unaccounted power to carry out their operations, once an area is declared disturbed. It is the army, rather than any civilian authority, which decides that in order to 'maintain the public order', one must shoot to kill.
This Act empowers the armed forces wide powers to shoot, arrest and search, all in the name of 'aiding civil power.' The whole of Manipur has been under AFSPA since 1980. The enforcement of the AFSPA has resulted in innumerable incidents of arbitrary detention, torture, rape, and looting by security personnel. In Manipur alone, security forces kill on average one to two persons per day, according to non-governmental sources.
The Armed Forces Special Powers Act contravenes the Indian constitution and law standards.

· Violation of Article 21 - Right to life

· Protection against arrest and detention - Article 22

· The Indian Criminal Procedure Code

· Military's Immunity / Lack of Remedies

· The Army Act

· States of Emergency

It also contravenes the following International law standards of which the Government of India is a signatory. International Covenant on Civil and Political Rights (ICCPR)

· International Customary Law comprising of The UN Code of Conduct for Law Enforcement Officials, the UN Body of Principles for Protection of All Persons Under any form of Detention, and the UN Principles on Effective Prevention and Investigation of Extra-legal and summary executions

· International Humanitarian Law comprising four Geneva Conventions of 1949 along with the two optional protocols.

We strongly feel that a country which prides in calling itself a democracy cannot condemn a section of the population living under legalized martial law for almost six decades. We also feel that the recurrent sexual violence on women by the armed forces (highlighted after the murder of Thangjam Manorama) must not go unpunished, though, given the refusal of the government to prosecute the army for acts committed under the AFSPA, no case has ever been brought to court.
It is in this context that the heroic struggle of Irom Sharmila
has been taking place.
In expressing our solidarity with her, we demand:

· The immediate repeal of the AFSPA without its reintroduction under any other name.

· The removal of the military from playing a governing role in the area.

· The prosecution of army personnel for all cases of murder, rape, sexual violence and torture, and the punishment of all the guilty.

With this end, 3 days solidarity fast at Imphal outside J.N. hospital from the 24th to the 26th of February, 2010 is being organized by Asha Parivar, NAPM, INSAF and others. It is the responsibility of civil society, especially the section that constitutes the so-called “mainland/mainstream Indians” to express their solidarity with Sharmila’s decision, so that a more humane society becomes a visible reality.

Organisation- NAPM, Asha Parivar,Inasaf, Women,Shrmeela Kanba-lup, Female right Alert

Name those are fasting all three days-

1-Arvind murty -UP -NAPM

2- Faisal - NAPM .Asha parivar

3- sajjad -Social activist -Kargil (J&K)

4- Akhlesh --UP and others

we are requesting that please join us in imphal or organise a fast at ur place .

For more information on the 3day solidarity fast, and to travel to Imphal for the same, please contact:---

Faisal Khan, Asha Parivar and NAPM: faisalkj2002@ yahoo.co. in,09968-828-230

Sandeep Panday, Asha Parivar and NAPM:ashaashram@ yahoo.com ashaashram@yahoo. com,

Arvind murty ------------ --------- --09839835032

Ninglun Hangal, INSAF: 9868592768insafdelhi@gmail. com

Singhjeet -Imphal --09862696184

सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

आर0 टी0 आई0 के सिपाही सतीश सेठ्ठी को कानपुर ने दी श्रद्धांजलि

आर0 टी0 आई0 के सिपाही सतीश सेठ्ठी को कानपुर ने दी श्रद्धांजलि

जन सूचना कानून के तहत जानकारी हासिल करने की सजा मौत के रूप में सतीश सेठ्ठी को मिली। पुणे क्षेत्र केतमाम भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने वाले इस युवा को किसी अज्ञात लालाची ने धारदार हथियार से मारकर मौतके घाट उतार दिया। केन्द्र सरकार द्वारा जनता के हाथ दिये गये इस अहिंसक हथियार का असामाजिक तत्वो परइस कदर खौफ छाया है कि कागज और कलम के सिपाही को बेरहमी से पीट रहे है लेकिन अब एक कदम आगेबढते हुए ये दहशतगर्द लोगों को कत्ल करने लगे है। जिसका गवाह रास्ते पर बिखरा सतीश सेठ्ठी का खून है।
भले ही केन्द्र सरकार ने आर0 टी0 आई0 के रूप में जनता के हाथ एक हथियार दिया हो लेकिन सरकार केउदासीनता के कारण ही हर रोज देश के किसी किसी कोने में कोई आर0 टी0 आई0 का सिपाही सरेबजार पीटाजा रहा है। प्रश्न है इसका जिम्मेदार कौन है, मरने वाला आर0 टी0 आई0 का सिपाही सतीश वक्त के साथ इतिहासके पन्नों में गुम हो जाय, लेकिन इस देश का हर जागरूक नागरिक उसकी शहादत को हमेशा याद रखेगा। जिसकाउदाहरण पुणे से सैकड़ो मील दूर कानपुर की सड़को पर जुलूस के रूप में दिखाई दिया। कानपूर
शहर के विभिन्न सामाजिक आर0 टी0 आई0 कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर सतीश को श्र्रद्धांजलि दी साथ हीवाहन यात्रा के रूप में सतीश के उपर हुए अत्याचार को जनता तक पहुंचाने का सफल प्रयास किया। यह वाहनयात्रा शिक्षक पार्क से शुरू होकर बड़े चैराहा पहुंची जहां नुक्कड़ सभा कर सतीश की शहादत को याद करते हुएआर0 टी0 आई0 के बारे में लोगों को जानकारी दी। यहां से यह वाहन काफिला कचहरी की तरफ चला वहां पहुंचकर नुक्कड़ सभा करने के बाद आगे नवीन मार्केट से होते हुए मूलगंज चैराहा पहुंचा। मूलगंज चैराहे पर सभा मेंबोलते हुए आर0 टी0 आई0 कार्यकर्ता दीपक मालवीय ने कहा कि सतीश सेठ्ठी की शहादत को हम बेकार नहींजाने देंगे। सतीश सेठ्ठी की खून की एक एक बूंद भ्रष्टाचार की ताबूत में अंतिम कील साबित होगी। कानपुर केनागरिको से अपील करते हुए उन्होने कहा कि आप सभी एक एक आर0 टी0 आई0 आवेदन जरूर लगाये यही सहीअर्थो में सतीश सेठ्टी की शहादत की श्र्रद्धांजलि होगी। यहां से ये यात्रा मेस्टन रोड होते हुए फूलबाग पहुंची जहांगांधी प्रतिमा के सामने गांधी जी की शहीदी दिवस को याद करते हुऐ 2 मिनट का मौन रखकर, इस आन्दोलन कोऔर आगे ले जाने की प्रतिज्ञा की गयी।
इस वाहन यात्रा में स्थानीय लोगो की भागीदारी काफी रही। इसमें सूचना का अधिकार अभियान 0प्र0, जनचेतना कलामंच, लोकसेवक मंडल, जन सूचना जागृति मिशन, सूचना जनहिताय जागरूकता केन्द, सेवियर, एन00 पी0 एम, आशा और अन्य मजदूर संगठन तथा जनसंगठनों ने प्रमुख रूप से भागीदारी की
महेश

RTICUP Kanpur

10/425, Harihar Nath Shastri Bhavan, Khalasi Line, kanpur

M0. +91-9453533596, +91-9838546900